Tula Sankranti-जानिए तुला संक्रांति की कथा और पूजन विधि:Tula Sankranti: Know the story and worship method of Tula Sankranti
तुला संक्रांति-Tula Sankranti
तुला संक्रांति तिथि -2024 17 अक्टूबर गुरुवार
हिन्दू पंचांग के अनुसार तुला संक्रांति के वक्त सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर जाते हैं। तुला संक्रांति पूरे साल में होने वाली 12 संक्रांतियों में से एक है। इस साल तुला संक्रांति 2024 17 अक्टूबर गुरुवार को आ रही है। तुला संक्रांति कार्तिक महीने में आती है। तुला संक्रांति यूं तो पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन ओडिशा और कर्नाटक में खास तौर पर इसकी धूम रहती है। कर्नाटक के कुर्ग जिल में तुला संक्रांति के दिन माता कावेरी की पूजा की जाती है।
ओडिशा में तुला संक्रांति के वक्त धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी का आभार जताने के लिये एक दम ताजे धान चढ़ाए जाते हैं। कई इलाकों में गेहूं और कारा पौधे की टहनियां भी चढ़ाई जाती हैं। मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वो उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाके रखें और हर साल उन्हें ज्यादा फसल दें।
तुला संक्रांति की पूजा विधि-Worship method of Tula Sankranti
- तुला संक्रांति के दिन देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती का पूजन करें।
- इस दिन देवी लक्ष्मी को ताजे चावल अनाज, गेहूं के अनाजों और कराई पौधों की शाखाओं के साथ भोग लगायें।
- देवी पार्वती को सुपारी के पत्ते, चंदन के लेप के साथ भोग लगायें।
तुला संक्रांति का पर्व अकाल तथा सूखे को कम करने के लिए मनाया जाता है, ताकि फसल अच्छी हो और किसानों को अधिक से अधिक कमाई करने का लाभ प्राप्त हो। कर्नाटक में नारियल को एक रेशम के कपड़े से ढका जाता है और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व मालाओं से सजाया जाता है।
तुला संक्रांति की कथा-Story of Tula Sankranti
साहित्य स्कंद पुराण में कावेरी नदी की उत्पत्ति से संबंधित कई कहानियां शामिल है। इसमें से एक कहानी विष्णु माया नामक एक लड़की के बारे में है। जो भगवान ब्रह्मा की बेटी थी जो कि बाद में कावेरा मुनि की बेटी बन गई थी। कावेरा मुनि ने ही विष्णु माया को कावेरी नाम दिया था। अगस्त्य मुनि को कावेरी से प्रेम हो गया और उन्होंने उससे विवाह कर लिया था। एक दिन अगस्त्य मुनि अपने कामों में इतने व्यस्त थे कि वे अपनी पत्नी कावेरी से मिलना भूल जाते हैं। उनकी लापरवाही के कारण, कावेरी अगस्त्य मुनि के स्नान क्षेत्र में गिर जाती है और कावेरी नदी के रूप में भूमि पर उद्धृत होती हैं। तभी से इस दिन को कावेरी संक्रमण या फिर तुला संक्रांति के रूप में जाना जाता है।
तुला संक्रांति पर क्यों चढ़ाए जाते हैं ताजे धान-Why fresh paddy is offered on Tula Sankranti
- तुला संक्रांति और सूर्य के तुला राशि में रहने वाले पूरे एक महीने तक पवित्र जलाशयों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।
- तुला संक्रांति का वक्त जो होता है, उस दौरान धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी का आभार जताने के लिए ताजे धान चढ़ाए जाते हैं।
- कई इलाकों में गेहूँ और कारा पौधे की टहनियां भी चढ़ाई जाती हैं। मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वो उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाकर रखें और हर साल उन्हें लहलहाती हुई ज्यादा फसल दें।
- इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजन का भी विधान है। माना जाता है इस दिन देवी लक्ष्मी का परिवार सहित पूजन करने और उन्हें चावल अर्पित करने से भविष्य में कभी भी अन्न की कमी नहीं आती।