जानिए कब है रक्षा बंधन ? तिथि , शुभ मुहूर्त, महत्त्व :Jaanie Kab Hai Raksha Bandhan ? Tithi , Shubh Muhoort,Mahattv
रक्षा बंधन -Raksha Bandhan 2024
रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम एवं बंधन को दर्शाता है। रक्षाबंधन या राखी का त्यौहार सदियों से मनाया जा रहा है जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस त्यौहार का मुख्य संदेश भाई और बहन के पवित्र बंधन को सम्मान देना होता है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष व नेपाल में मनाया जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ है ‘सुरक्षा का बंधन’ और संस्कृत में रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ है ‘‘सुरक्षा की गांठ’’। राखी कच्चे सूत जैसे कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन का त्योहार है। ये त्योहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है।
रक्षाबंधन पर बहन अपनी समृद्धि और खुशी से अपने भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती है और अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। भाई अपनी बहन को उपहार देता है और सभी परिस्थितियों में अपनी बहन की रक्षा करने और उसका ख्याल रखने का वचन देता है। यह त्योहार जैन और सिख धर्म और दुनिया के अन्य भागों में हिंदू समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है। रक्षाबंधन किसी भी सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण परंपरा रही है, जिसे कभी-कभी रख़डी या रखारी कहा जाता है।
रक्षा बंधन के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान:Rakshaa Bandhan Ke Dauraan In Niyamon Ka Rakhen Dhyaan
- अगर पूर्णिमा तिथि के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा लग गई है तो रक्षाबंधन मनाने की मनाही होती है। इसी प्रकार, यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो इस पर्व को विधिपूर्वक अगले दिन के अपराह्ण काल में मनाना चाहिए।
- यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में नहीं हो, तो रक्षाबंधन को पहले दिन भद्रा लगने के बाद प्रदोष काल में मनाया जा सकता हैं।
रक्षा बंधन तिथि-Raksha Bandhan Tithi 2024
रक्षा बन्धन 19अगस्त 2024 सोमवार
रक्षा बंधन धागा समारोह समय – दोपहर 01:31 बजे से रात 09:07 बजे तक
अवधि – 07 घंटे 38 मिनट
दोपहर के समय रक्षाबंधन मुहूर्त – दोपहर 01:43 बजे से शाम 04:20 बजे तक
अवधि – 02 घंटे 37 मिनट
प्रदोष समय रक्षा बंधन मुहूर्त – शाम 06:56 बजे से रात 09:08 बजे तक
अवधि – 02 घंटे 11 मिनट
रक्षा बंधन भद्रा समाप्ति समय – दोपहर 01:31 बजे
रक्षाबंधन का महत्त्व-Rakshaa Bandhan Ka Mahattv
रक्षाबंधन राखी या हिन्दुओं का सबसे प्रमुख एवं प्रसिद्ध पर्व है जिसका इंतजार सभी बहनों और भाइयों द्वारा वर्षभर उत्सुकता से किया जाता है। रक्षाबंधन के दिन सभी बहनें अपने भाई की सुख-समृद्धि एवं लंबी आयु के लिए कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां बांधती है और भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते है। रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम को गहरा करता है। रक्षाबंधन भारतीय परम्पराओं का एक ऎसा पर्व है, जो भाई-बहन के स्नेह के साथ-साथ प्रत्येक सामाजिक संबंधों को मजबूती प्रदान करता है। इसी वजह से इस त्यौहार का भाई-बहन को आपस में जोडने के साथ साथ अपना विशेष सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व भी है।
रक्षाबंधन की पूजा विधि-Rakshaa Bandhan Ki Puja Vidhi
- रक्षाबंधन पर सर्वप्रथम सुबह भाई-बहन स्नान करने के बाद ईश्वर की उपासना करते हैं।
- इसके बाद बहनों द्वारा रोली, अक्षत, कुमकुम और दीपक जलाकर पूजा की थाली सजायी जाती हैं।
- इस थाली में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर पूजा करते हैं।
- अब बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं।
- इसके बाद बहने अपने भाई के दाएं हाथ की कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती हैं और भाई को मिठाई खिलाती हैं।
- भाई राखी बंधवाने के बाद अपनी बहन को रक्षा का वचन और भेंट देते है।
- इसके विपरीत, बहनें राखी बांधते समय अपने भाई की लम्बी आयु एवं सुख-शांति से पूर्ण जीवन की कामना करती है।
राखी की थाली में ये पांच चीजें हैं जरूरी-Raakhee Kee Thaalee Mein Ye Paanch Cheejen Hain Jarooree
- रोली या हल्दी पाउडर
- अक्षत (साबूत चावल)
- आरती के लिए दीपक
- मिठाई
- राखी
रक्षाबंधन से जुड़ीं कृष्ण जी और द्रौपदी की कहानी-Rakshaabandhan Se Judeen Krishna Jee Aur Draupadee Kee Kahaanee
महाभारत के अनुसार, एक समय की बात है जब भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लग गई थी, तब द्रौपदी ने अपना पल्ला फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ पर बांधा था। उसी वक़्त भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को जीवनभर रक्षा करने का वचन दिया था, उसी समय से ही पवित्र बंधन के रूप में राखी का पर्व मनाया जाने लगा।