आइए जानते है प्रदोष व्रत, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व :Aaie Jaanate Hai Pradosh Ka Vrat, Pooja Ka Shubh Muhoort Aur Mahattv
हम जानते है कि हमारे हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का अलग महत्त्व है। हर व्रत और त्योहारो को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। और उन्ही सारे व्रतों में एक प्रदोष का व्रत आता है। प्रदोष व्रत पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है और इस व्रत के दौरान भगवान शिव का माता पार्वती समेत पूजन करना विशेष फलदायी माना जाता है।प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है। पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। इस प्रकार पूरे साल में 24 प्रदोष व्रत होते हैं जिनका अलग ही महत्व होता है।और दोनों प्रदोष व्रत भगवान शिव शंकर को समर्पित है। इस माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 1 जुलाई 2023, शनिवार को को रात 01 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन 1 जुलाई को रात 11 बजकर 06 मिनट पर होगा। इस दिन शनिवार होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा।
प्रदोष व्रत का महत्व: Pradosh Vrat Ka Mahatv
हमारे हिंदू धर्म मे ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत में श्रद्धा पूर्वक भगवान शिव का माता पार्वती समेत पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण रूप से पूरी होती हैं। खासतौर पर जब यह व्रत बुधवार के दिन होता है तब इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित होता है और बुध प्रदोष व्रत में गणेश पूजन भी किया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। और जो स्त्रियां संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं उनके लिए भी यह व्रत विशेष रूप से फलदायी होता है।और प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष कल में की जाती है। प्रदोष काल संद्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है।
प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त:Pradosh Vrat Tithi Aur Shubh Muhoort
इस माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 1 जुलाई 2023, शनिवार को को रात 01 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन 1 जुलाई को रात 11 बजकर 06 मिनट पर होगा। इस दिन शनिवार होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा।और फिर 15 जुलाई 2023 ,शनिवार 07 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन 16 जुलाई को होगा।
प्रदोष व्रत पूजा की विधि:Pradosh Vrat Pooja Kee Vidhi
प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि करके बृहस्पतिदेव तथा शिव-पार्वती का पूजा करना चाहिए। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का माता पार्वती के साथ पूजा किया जाता है। शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग को स्नान कराएं और चन्दन का लेप लगाएं। माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। पूरे दिन निराहार रहकर शिव के प्रिय मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का मन ही मन जाप करना चाहिए।और पूरे दिन फलाहार या निर्जला व्रत करें और प्रदोष काल में शिव पूजन करें।पूजा के समय एक चौकी पर साफ़ वस्त्र बिछाएं और शिव परिवार की मूर्ति या शिवलिंग चौकी पर रखें।भगवान शिव और माता पार्वती के सामने धूप, दीप तथा फूल अर्पित करें।पूजा के दौरान प्रदोष व्रत की सम्पूर्ण कथा पढ़ें और शिव चालीसा का पाठ करें।शिव जी की आरती करें और भोग अर्पित करें। और स्वयं भी भोग ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत पूजा सामग्री:Pradosh Vrat Pooja Saamagree
प्रदोष व्रत की कथा:Pradosh Vrat Kee Katha
प्रदोष व्रत मंत्र:Pradosh Vrat Mantr
प्रदोष व्रत आरती:Pradosh Vrat Aaratee
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव..
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
ॐ जय शिव..
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
ॐ जय शिव..
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
ॐ जय शिव..
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
ॐ जय शिव..
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
ॐ जय शिव..
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
ॐ जय शिव..
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
ॐ जय शिव..
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
ॐ जय शिव..