पंडितों Pandit या ब्राह्मणों Brahmin के गोत्रों Gotra की संख्या बहुत अधिक है और यह विभिन्न भागों और समुदायों में भिन्नता दिखाती है। भारतीय सामाजिक परंपरा में, ब्राह्मणों के गोत्र पितृवंश और वंशावली के आधार पर होते हैं। इन गोत्रों का संबंध ऋषियों, महापुरुषों, देवताओं या पूर्वजों से होता है, जिन्होंने विशिष्ट यज्ञ या धर्मकार्य किया था।
गोत्रों की बहुत सी सूचियाँ विभिन्न पुराणों और शास्त्रों में मिलती हैं, लेकिन यह योग्यता और पारंपरिक संबंध के आधार पर होती हैं। व्यक्ति अपने पितर वंश या पितृवंश से संबंधित गोत्र का सदस्य होता है, जो उसके पुरावलोकों और पूर्वजों से जुड़ा होता है।
क्या आप जानते है की यदुवंशी या यादव के कितने गोत्र हैं?
ब्राह्मणों Brahmin के 10 गोत्र कौन कौन से हैं?
कुछ प्रमुख ब्राह्मण गोत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- भारद्वाज ( Bharadvaja Gotra )
- वत्स ( Vatsa Gotra )
- काश्यप ( kashyap gotra )
- गौतम ( Gautam gotra )
- विश्वामित्र ( Vishvamitra gotra )
- जामदग्नि ( Jamadagni gotra )
- आत्रेय ( Atreya gotra )
- वासिष्ठ ( vashisht gotra )
- भरद्वाज ( Bhardwaj Gotra )
- अत्रि ( Atri gotra )
इनमें भी एक गोत्र के अंतर्गत विभिन्न उपगोत्र हो सकते हैं, जो विभिन्न पारंपरिक धाराओं या विशेष स्थानों से उत्पन्न हो सकते हैं। इस प्रकार, गोत्रों की संख्या और प्रकार बहुत अधिक हैं और विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में भिन्नता दिखाई जा सकती है।