Onam ओणम
ओणम का त्योहार दक्षिण भारत के मलयाली संस्कृति भाषाई क्षेत्र के केरल में मुख्य रूप से मनाया जाता है।ओणम मुख्य रूप से केरल, भारत में आयोजित एक वार्षिक फसल उत्सव है। और यह मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम (अगस्त-सितंबर) के महीने में होता है और दस दिनों तक चलता है। ऐसा माना जाता कि देत्य राज महाबली इस दिन पाताल लोक से पृथ्वी लोक पर अपनी मलयाली भाषाई प्रजा से मिलने के लिए आते हैं, और उन्हें सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनके स्वागत के लिए दस दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है। घरों को सजाया जाता है, और अच्छे पकवान बनाए जाते हैं। घर को विशिष्ट फूलों से सजाया जाता है। साथ ही घर के द्वार पर फूलों से रंगोली बनाई जाती है।
Onam Tithi Aur Muhoort-ओणम तिथि और मुहूर्त
ओणम रविवार, सितम्बर 15, 2024 को पड़ रहा है।
ओणम नक्षत्र शुरू- सितम्बर 14, 2024 को 08:31 PM बजे ।
ओणम नक्षत्र समाप्त- सितम्बर 15, 2024 को 06:48 PM बजे।
Onam Ka Mahatv-ओणम का महत्व
ओणम का त्योहार दक्षिण भारत के मलयाली संस्कृति भाषाई क्षेत्र के केरल में मुख्य रूप से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता कि देत्य राज महाबली इस दिन पाताल लोक से पृथ्वी लोक पर अपनी मलयाली भाषाई प्रजा से मिलने के लिए आते हैं, और उन्हें सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनके स्वागत के लिए दस दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है। घरों को सजाया जाता है, और अच्छे पकवान बनाए जाते हैं। घर को विशिष्ट फूलों से सजाया जाता है। साथ ही घर के द्वार पर फूलों से रंगोली बनाई जाती है। इससे उनके आराध्य राजा महाबली खुश होते हैं। ओणम भारत के सबसे रंगारंग त्योहारों में से एक है। इस पर्व की लोकप्रियता इतनी है कि केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में मनाती है। ओणम पर्व के दौरान नाव रेस, नृत्य, संगीत, महाभोज जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
Onam Tyauhaar Ke Das Din-ओणम त्यौहार के दस दिन
- पहला दिन अथं होता है, जब राजा महाबली पाताल लोक से पृथ्वी लोक पर अपने राज्य में जाने की तैयारी करते हैं। इस दिन राज्य की प्रजा अपने राजा के स्वागत की तैयारियों में जुट जाती है।
- दूसरा दिन चिथिरा होता है। इस दिन फूलों की कालीन को बनाना शुरु किया जाता है, जिसे पूक्क्लम कहा जाता है।
- तीसरे दिन को चोधी पूक्क्लम कहा जाता है, इसे चार-पांच तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते हैं।
- विशाकम इस त्योहार का चौथा दिन होता है, इस दिन तरह तरह की प्रतियोगिताएं शुरु हो जाती है।
- पांचवें दिन को अनिज्हम कहा जाता है। इस दिन नाव की रेस की तैयारी होती है।
- छठवें दिन को थ्रिकेता के रूप में जाना जाता है, इसी दिन से त्योहर की छुट्टियां शुरू हो जाती है।
- सातवें दिन मूलम मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
- आठवें दिन को पूरादम कहा जाता है। इस दिन राजा महाबली और वामन की प्रतिमा को घर पर स्थापित किया जाता है।
- नौवे दिन को उठ्रादोम कहा जाता है। इस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते है।
- दसवां दिन थिरुवोनम होता है। यह सबसे मुख्य दिन होता है, जब राजा महाबली का केरल की प्रजा पूरे हर्षोउल्लास के साथ स्वागत करती है, और उनकी पूजा करती है।
Onam Kee Pauraanik Katha-ओणम की पौराणिक कथा
ओणम एक फसल उत्सव है क्योंकि यह वर्ष के इस समय है कि केरल के लोग अपनी चावल की फसल इकट्ठा करते हैं और भोजन और समृद्धि के लिए भगवान की स्तुति करते हैं।