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कब है नवपत्रिका पूजा, तिथि महत्त्व, पूजा विधि, कथा:When is Navpatrika Puja, date importance, worship method, story

 

नवपत्रिका पूजा-Navpatrika Puja

नवपत्रिका नौ तरह की पत्तियों ने मिलकर बनाई जाती है, और फिर इसका इस्तेमाल दुर्गा पूजा में होता है। यह मुख्य रूप से बंगाल , उड़ीसा एवं पूर्वी भारत के क्षेत्रों में मनाया जाता है। बंगाल समुदाय में दुर्गा पूजा का बहुत महत्व होता है, वह के लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते है। नवपत्रिका पूजा को महा सप्तमी भी कहते है, यह दुर्गा पूजा का पहला दिन होता है। नवा मतलब नौ एवं पत्रिका का संस्कृत में मतलब पत्ती होता है, इसलिए इसे नवपत्रिका कहा गया। इन नवपत्रिका को महा सप्तमी के दिन दुर्गा पंडाल में रखा जाता है।नवरात्री के समय इसे मनाया जाता है, यह एक रिवाज है, जो दुर्गा पूजा के समय किया जाता है। नवरात्री के समय महासप्तमी के दिन इसकी पूजा होती है। इस बार बृहस्पतिवार, अक्टूबर 10, 2024 को है  । दुर्गा पूजा के सातवें दिन यानी कि महासप्तीै को नवपत्रिका पूजा की जाती है।

नवपत्रिका पूजा तिथि 2024 – Navpatrika Puja Date

बृहस्पतिवार, अक्टूबर 10, 2024

नवपत्रिका पूजा विधि-Navapatrika Puja Vidhi

  • महासप्तमी की पूजा महास्नान के बाद शुरू होती है, इसे कलाबाऊ स्नान कहते हैं। महासप्तमी पर महास्नान करने से देवी दुर्गा की असीम कृपा होती है।
  • नवपत्रिका पूजन में नौ पत्ति को एक साथ बांधकर स्नान कराया जाता है।
  •  महास्नान के पश्चात नवपत्रिका को बंगाल की पारंपरिक सफेद साड़ी जिसमें लाल बॉर्डर होती है, इस पर रखकर सजाया जाता है।
  •  महास्नान के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसमें मां दुर्गा की प्रतिमा को पूजा स्थल पर रखा जाता है।
  • प्राण प्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है। इसमें जल, फल, फूल, चंदन आदि चढ़ाकर मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। अंत में मां दुर्गा की महाआरती होती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है।

नवपत्रिका पूजा महत्त्व-Nabapatrika Puja Significance

नवपत्रिका को कोलाबोऊ पूजा भी कहते है, नवपत्रिका पूजा या नबपत्रिका पूजा का अनुष्ठान महा सप्तमी के रूप में भी लोकप्रिय है औ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी दुर्गा को भावना का आह्वान करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। और, जीवित माध्यम एक स्रोत हैं जिनके द्वारा भक्त भगवान और देवी-देवताओं के साथ बातचीत कर सकते हैं। ये माध्यम श्रद्धांजलि अर्पित करने और दिव्यता के साथ बातचीत करने में मदद करते हैं। शरद ऋतू के दौरान, जब फसल काटने वाली होती है, तब नवपत्रिका की पूजा की जाती है। ताकि कटाई अच्छे से हो सके।

इसके अलावा बंगाल एवं उड़ीसा के लोगों द्वारा दुर्गा पूजा के समय नौ तरह की पत्तीओं को मिलाकर दुर्गा जी की पूजा की जाती है।

 

नवपत्रिका या नवापत्रिका-Nabapatrika or Navpatrika 

नवपत्रिका में जो नौ पत्ते उपयोग होते है, हर एक पेड़ का पत्ता अलग अलग देवी का रूप माना जाता है. नवरात्रि में नौ देवी की ही पूजा की जाती है. नौ पत्ती इस प्रकार है- केला, कच्वी, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिलवा एवं जौ।

नौ पौधों का प्रतीक-symbol of nine plants

केला-केले के पेड़ और इसके तने और पत्तियां देवी ब्रह्मनी का प्रतीक है।
काची -काची, काची या कचू का पौधा देवी काली का प्रतीक है।
हल्दी-पीले रंग के हल्दी के पौधे देवी दुर्गा का प्रतीक है।
जौ -जयंती पौधा और इसकी पत्तियां देवी कार्तिकी का प्रतीक है।
बिल्वा– बिल्वा का पौधा, इसकी शाखा और पत्तियां भगवान शिव का प्रतीक है।
अनार-अनार का पौधा देवी रकतदंतिका का प्रतीक है।
अशोक -अशोक का पेड़ और इसकी पत्तियां देवी सोकारहिता का प्रतीक है।
मनका – मनका पौधा देवी चामुंडा का प्रतीक है।
धान -चावल की पैडी (धान) देवी लक्ष्मी का प्रतीक है।

नवपत्रिका पूजा कथा-Navpatrika Pooja Katha

कोलाबोऊ को गणेश जी की पत्नी माना जाता है, इसके अलावा इससे एक और कहानी जुड़ी है। कोलाबोऊ जिसे नवपत्रिका भी कहते है, माँ दुर्गा की बहुत बड़ी भक्त थी. वे देवी के नौ अलग अलग रूप के पेड़ के पत्तों से उनकी पूजा करती थी।

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