मार्गशीर्ष अमावस्या कब है ? पूजा विधि और महत्व :When is Margashirsha Amavasya? Method and importance of worship
मार्गशीर्ष अमावस्या:Margashirsha Amavasya
मार्गशीर्ष अमावस्या, जिसे हिंदी में “मार्गशीर्ष अमावस्या” भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को कहा जाता है। इस तिथि को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे विभिन्न धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
मार्गशीर्ष मास हिंदू पंचांग में अक्टूबर से नवम्बर के बीच के समय का होता है, और इस मास की अमावस्या का आने का समय इस मास के कैलेंडर के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इस दिन लोग विशेष धार्मिक अद्ययन, पूजा, और दान-पुण्य करने का प्रयास करते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या को सोमवार (Monday) के दिन का भी विशेष महत्व होता है, और लोग सोमवार को भगवान शिव की पूजा करते हैं।
इस दिन के अवसर पर, लोग गंगा घाट जैसी पवित्र स्थलों पर स्नान करने जाते हैं और अपने पितृगण (पूर्वजों) के लिए पिंडदान करते हैं। इस तिथि को भगवान शिव, भगवान विष्णु, और भगवान ब्रह्मा की पूजा करने का विशेष महत्व दिया जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या का आयोजन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ होता है और यह विशेष रूप से भारत के उत्तर और पश्चिमी भागों में मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या 1दिसंबर, 2024(रविवार)
मार्गशीर्ष अमावस्या मुहूर्त:Margashirsha Amavasya Muhurta
नवंबर 30, 2024 को 10:33 से अमावस्या आरम्भ
दिसंबर 1, 2024 को 11:53 पर अमावस्या समाप्त
मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत और पूजा विधि:Margashirsha Amavasya fast and worship method
पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म –
- प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें।
- कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें।
- नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें।
- मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।
सत्यनारायण पूजा:Satyanarayan Puja
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों की आत्म शांति और उनकी कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ और व्रत रखा जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा भी की जाती है। पूजा स्थल पर भगवान सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी का चित्र रखा जाता है। इसके बाद विधिवत तरीके से पूजा की जाती है और हलवे का भोग लगाया जाता है। भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने के बाद पूजा संपन्न होती है और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का बांटा जाता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व:Importance of Margashirsha Amavasya
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है:
- धार्मिक महत्व: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष आदर किया जाता है, और यह तिथि भगवान शिव के विशेष आदर्श और उनके प्रकट्य में जो बदलाव हुआ था को याद करने का अवसर होता है।
- पितृ तर्पण: मार्गशीर्ष अमावस्या को लोग अपने पितृगणों (पूर्वजों) के लिए पिंडदान और श्राद्ध का आयोजन करते हैं। इसका मकसद अपने पितृगण की आत्मा को शांति देना होता है और उनकी आत्मा को प्रसन्न करना होता है।
- स्नान और पूजा: इस दिन लोग गंगा नदी, यमुना नदी, गोदावरी नदी, कावेरी नदी आदि स्थलों पर स्नान करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। यह पवित्र स्थलों पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और अपने पापों का क्षय होता है।
- धार्मिक संगठन: मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन धार्मिक संगठन और मंदिरों में विशेष पूजा और भजन की आयोजना की जाती है। इसके आलावा, धार्मिक भाषण और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
- दान-पुण्य: इस दिन लोग दान करने का प्रयास करते हैं, जैसे कि भूखे और गरीबों को खाना खिलाना और धर्मिक या अन्य अच्छे कार्यों में भाग लेना। इससे उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है, और यह उनके आत्मिक उन्नति में मदद करता है।