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महाशिवरात्रि 2024 कब है? Mahashivaraatri 2024 kab hai?

08 मार्च, 2024 (शुक्रवार)

महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार को हिन्दी पंचांग के मास ‘फाल्गुन’ के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो फरवरी या मार्च महीने में आता है। जिसे शिव भक्त और बाकि लोग बड़ी श्रद्धा से मानते है। पूरी दुनिया में हिंदू इस दिन कई तरह के पूजा, अनुष्ठान और मंत्र जाप करते हैं। इस अवसर पर शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है और वे प्रार्थना और मंत्रों के साथ दिन बिताते हैं।

महा शिवरात्रि का अर्थ है ‘शिव की महान रात’। इस त्योहार को समझने के लिए बहुत सारी तथ्य, कहानिया एवं पौराणिक कथाये जुड़ी हुई हैं और सबसे लोकप्रिय यह है कि यह इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी। इसलिए, शिवरात्रि शिव और शक्ति के एक होने का स्मरणोत्सव है। इस दिन से जुड़ी एक अन्य कथा समुद्र मंथन की है जिसमें शिव ने उभरे हुए विष को पी के संसार की रक्षा की थी। जिससे उनका गाल जिसको की कंठ भी कहते है जहर की वह से नीला पढ़ गया था उस दिन से उनको नीलकंठ के रूप में भी पूजा जाता है, कुछ शिव भक्तों का यह भी कहना ​​है कि शिवरात्रि की रात भगवान शिव ने ‘तांडव’ नृत्य किया था।

महा शिवरात्रि पूजा विधि:Mahashivaraatri Puja Vidhi

महा शिवरात्रि को पूजा अभिषेक में जल, दूध, फूल अर्पण करना, उपवास और रात्रि में भजन और भगवन शिव का करना शामिल है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और दिन रात शिव भजन और मंत्र जपते है, कुछ भक्त बिना पानी का सेवन किए भी व्रत का पालन करते, जो थोड़ा कठिन होता हैं। कुछ लोग अपनी यथा शक्ति के अनुसार दिन में एक बार भोजन करते है जबकि कुछ लोग फलाहार और दूध का सेवन करते है।
शिव मंदिरों में जाने वाले भक्त प्रार्थना, गाय की सेवा करते हैं। शिव भक्त ॐ नमः शिवाय ’मंत्र का जाप करते हैं। कुछ भक्त महा मृत्युंजय मंत्र भी करते हैं।

महा शिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक पूजा प्रमुख अनुष्ठान है। यह पांच तरीके की अलग अलग चीजों जैसे दूध, शहद, चीनी, मक्खन, काले तिल, गंगाजल आदि का उपयोग करके किया जाता है। अभिषेक के बाद शिवलिंग को चन्दन का तिलक और ताजे फल और फूल चढ़ाए जाते हैं। शिवपुराण के अनुसार, आप के पास जो भी, यथा शक्ति हो सकते शिव जी की उपासना सच्चे मान से करने पर भोले बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • शिवलिंग को जल, दूध, शहद और सुपारी से स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
  • सिंदूर या कुमकुम लगाना पुण्य का प्रतीक है।
  • फल अर्पित करना दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि का संकेत देता है।
  • धूप जलाना धन का प्रतीक है।
  • दीपक जलाना ज्ञान प्राप्ति का संकेत देता है।
  • सुपारी के पत्ते सांसारिक सुखों के साथ संतुष्टि का संकेत देते हैं।
  • तो बोलो शंकर भगवन की जय, माता पार्वती की जय, गणेश भगवन की जय, कार्तिके जी की जय, सभी देवी देवताओ की जय, गौ माता की जय, धरती माता की जय, तुलसी माता की जय, सभी का कल्याण हो।

Shiv ji  Ki Aarti

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

 

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