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कुंभ संक्रांति -Kumbh Sankranti

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कुंभ संक्रांति माघ मास की पूर्णिमा को कहा जाता है। यह प्रतिवर्ष जनवरी और फरवरी के बीच में आती है। कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य वृषभ राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। वर्तमान समय में सूर्य देव मकर राशि में विराजमान हैं और माघ माह में राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव के कुंभ राशि में प्रवेश करने की दिन पर कुंभ संक्रांति मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि कुंभ संक्रांति के दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और स्नान के बाद दान-पुण्य का कार्य करते हैं। इस दिन को सद्गुण आत्मा शुभ लाभ के लिए शुभ माना जाता है और लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए संकल्प करते हैं।

कुंभ संक्रांति को माघ पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है और इसे माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कुंभ संक्रांति को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे स्नान करने का महत्व है। इस दिन लोग गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी आदि नदियों में स्नान करते हैं और पुण्य का लाभ उठाते हैं।

कुंभ संक्रांति को माघ मेला भी कहा जाता है, जो कुम्भ मेला के रूप में प्रसिद्ध है। यह कुम्भ मेला 12 वर्षों में एक बार होता है और इसमें लाखों लोग भारत और विदेशों से आकर शाही स्नान करते हैं।

 

कुंभ संक्रांति तिथि 2024 -Kumbh Sankranti Tithi

सूर्य देव के मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करने की प्रक्रिया को कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस साल, 13 फ़रवरी 2024 को कुंभ संक्रांति का यह पर्व मनाया जाएगा।

कुंभ संक्रांति शुभमुहूर्त -Kumbh Sankranti Muhurt

कुंभ संक्रांति पुण्य काल सुबह 09 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 55 मिनट तक है। वहीं पुण्य काल दोपहर 02:01 बजे से 03:54 बजे तक है। इस दौरान आप दान-पुण्य करके भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

सूर्य राशि परिवर्तन -Sun Sign Change

ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य देव 13 फरवरी को दोपहर 03:43 बजे मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस दौरान सूर्य देव 20 फरवरी को शतभिषा और 04 मार्च को भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसलिए कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को मनाई जाएगी।

शुभ योग – Subh Yog

कुंभ संक्रांति तिथि पर शुभ साध्य योग बन रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 11 बजकर 45 मिनट तक है। इसके बाद शुभ योग बन रहा है। साध्य योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

कुंभ संक्रांति का महत्व – kumbh sankraanti ka mahatv

साल में एक बार कुंभ मेला हरिद्वार, इलाहाबाद और नासिक में गोदावरी नदी जैसे धार्मिक स्थलों पर मनाया और मनाया जाता है। जीवन में एक बार किसी भी पवित्र स्थान पर डुबकी लगाने का उद्देश्य स्वयं को सभी पापों से मुक्त करना है। इस पवित्र दिन पर पुरुष और महिलाएं इस अनुष्ठान में समान अनुपात में भाग लेते हैं।

 

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