कार्तिक अमावस्या 2024: तिथि और समय, कार्तिक अमावस्या की कथा, तुलसी पूजा का महत्व:Kartik Amavasya 2024: Date and Time, Story of Kartik Amavasya, Importance of Tulsi Puja
कार्तिक अमावस्या : Kartik Amavasya
हिंदू धर्म में हर माह की अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की शांति के लिए तर्पण करना बहुत लाभकारी माना जाता है. साल में कार्तिक माह में आने वाली अमावस्या का बहुत महत्व है। इसे बड़ी अमावस्या और दिवाली अमावस्या भी कहा जाता है। कार्तिक की अमावस्या पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
यह आध्यात्मिक गतिविधियों को करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है, विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा और अनुष्ठान करने के लिए यह दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन भक्त नदियों में स्नान करने के बाद भगवान की पूजा करते हैं और अपने परिवारों के लिए आशीर्वाद लेने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए मंत्रों का जाप करते हैं।
कार्तिक अमावस्या का दिन बहुत महत्वपूर्ण जाना जाता है, क्योंकि इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास किया जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन गरीबों में दान दक्षिणा दी जाती है। कार्तिक अमावस्या के दिन सूरज की विशेष रूप से आराधना की जाती है। इस दिन सूरज को अर्घ्य जरूर दिया जाता है। इस दिन अपनी समर्था के अनुसार अन्न, गो, सोने और वस्त्र आदि का दान किया जाता है।
कार्तिक अमावस्या 2024 तिथि और समय : Kartik Amavasya Date and time
कार्तिक अमावस्या तिथि 1नवंबर, 2024 शुक्रवार को होगी।
कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को 15:56 बजे मिनट पर शुरू होगी।
कार्तिक अमावस्या 1 नवंबर 2024 को 18:19 मिनट पर खत्म होगी।
कार्तिक अमावस्या महत्व:Kartik Amavasya significance
शास्त्रों में बहुत ही उत्तम महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु जी 4 महीने की नींद से जागते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक महीने में कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। भगवान नारायण ने कार्तिक महीने में धरती पर जल में निवास करने की बात देवताओं को बताई थी। इसलिए यह आज परम पवित्र माना जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन दीप दान, सभी तीर्थ स्थानों स्नान करने से अच्छा फल मिलता है। कार्तिक अमावस्या के दिन में व्रत करने से अच्छा फल मिलता है।
कार्तिक अमावस्या पूजा विधि:Kartik Amavasya Puja Method
- कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन सम्भव हो सके तो गंगा स्नान भी करना चाहिए क्यूंकि ऐसा करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- स्नान करने के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसीजी की पूजा की जाती है।
- कार्तिक अमावस्या के दिन तिल के तेल का दीपकजलाया जाता है।
- कार्तिक अमावस्या के दिन अन्न का दानदिया जाता है।
- इस दिन वस्त्र का दान भी अवश्य किया जाता है।
कार्तिक अमावस्या तुलसी पूजा का महत्व : Importance of Kartik Amavasya Tulsi Puja
कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी की पूजा की जाती है। तुलसी पूजा करने से भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक अमावस्या के दिन सनान करने के बाद तुलसी और सूरज काजल दिया जाता है। तुलसी माता की पूजा अर्चना की जाती है। कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी के पौधे का दान किया जाता है। तुलसी पूजा करने से घर के रोग दुख दूर होते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी पूजा करने से अर्थ, धर्म, कर्म तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक अमावस्या की कथा : Story of Kartik Amavasya
एक बार कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी जी पृथ्वी पर विचरण कर रही थी, पर अंधेरा ज्यादा होने की वजह से दिशा सही से पता नहीं चल पाती है। देवी लक्ष्मी जी अपने रास्ते से भटक जाते हैं। देवी लक्ष्मी जी को आगे रास्ते में चलते हुए एक स्थान पर कुछ दीपक की रोशनी दिखाई देती है। देवी उस रोशनी के पास जाती है। जब देवी लक्ष्मी जी वहां पहुंचती है तो, वहां एक झोपड़ी होती है। वहां एक बूढ़ी औरत ने अपने घर के बाहर दीपक जलाए होती है और उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था। वह औरत अपने घर के बाहर आंगन में बैठकर काम कर रही होती है। देवी लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत से वहां रुकने के लिए जगह मांगती हैं। वह बूढ़ी औरत देवी लक्ष्मी जी के आराम करने के लिए स्थान देती है। वह उनके बिस्तर की व्यवस्था भी कर देती है। देवी लक्ष्मी जी वहां आराम करने के लिए रुक जाती हैं।देवी लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत के स्वभाव और सेवा से बहुत प्रसन्न होती हैं। फिर वह बूढ़ी औरत अपना काम करते हुए वहीं सो जाती है। अगले दिन जब वह बूढ़ी औरत जाती है, तो देखती है कि उसकी साधारण की झोपड़ी एक महल के समान सुंदर भवन में बदल जाता है। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है। माता लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत के घर से कब चली गई थी। इस बात का बूढ़ी महिला को पता नहीं चल पाता है। फिर लक्ष्मी माता जी इस बूढ़ी महिला को दर्शन देती है। माता लक्ष्मी जी कहने लगी कि जो कार्तिक अमावस्या के दिन अंधकार के समय दीपक जलाता है और रोशनी के मार्ग को उज्जवल करता है। उसे मेरा आशीर्वाद प्राप्त होता है। उसके बाद से हर कार्तिक अमावस्या को रात में प्रकाश का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन से कार्तिक अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी जी की पूजा की परंपरा चली आती है। इस दिन लक्ष्मी माता जी के आगमन के लिए पूजा पाठ किया जाता है। इस दिन घरों के दरवाजे खोल कर रखे जाते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन दीपक जलाना फलदायक होता है ।
कार्तिक अमावस्या के दिन दीपक जलाने का महत्व : Significance of lighting a lamp on the day of Kartik Amavasya
अंधकारः कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाने से अंधकार दूर होता है और जीवन में उजाला आता है। दीपक ज्ञान का प्रतीक है और इसे जलाने से अज्ञानता और अंधकार को दूर करने में मदद मिलती है।
देवताओं का सम्मान: कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाना देवताओं का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि दीपक की लौ देवताओं की दिव्य उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करती है और इसे जलाने से जातक के घर और जीवन में भगवान की उपस्थिति को दर्शाया जाता है।
पितर: ऐसा माना जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि दीपक दिव्य प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है, जो दिवंगत की आत्माओं को उनके अगले गंतव्य तक ले जाता है।
पूजा: कार्तिक अमावस्या पर दीपक जलाना पूजा करने और देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए शुभ माना जाता है। दीपक को देवताओं की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जलाया जाता है।