जानिये कब से हो रही है गणेश चतुर्थी की शुरुआत, गणेश स्थापना तिथि , विधि और मुहूर्त:Know when Ganesh Chaturthi is starting,
Ganesh installation date, method and Muhurt
Highlights:-
- गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, इसी दिन से गणेश उत्सव शुरू होता है।
- इस बार 7 शनिवार गणेश चतुर्थी 2024 सितंबर को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:09 बजे से शाम 01:38 तक तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी-Ganesh Chaturthi
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश जन्मोत्सव की शुरुआत होती है। गणेश जन्मोत्सव का यह पावन पर्व 10 दिनों तक चलता है। वहीं अनंत चतुर्थी के दिन इस उत्सव का समापन होता है। इस दौरान लोग ढोल नगाड़ों के साथ बड़ी ही धूमधाम से बप्पा को अपने घर लाते हैं। पूरे गणेश जन्मोत्सव के दिनों में चारों ओर बप्पा के नाम का उद्घोष सुनाई पड़ता है। गणेश जन्मोत्सव का पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। गणपति बप्पा बुद्धि और शुभता के देवता हैं। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, उनका हर नाम बहुत चमत्कारी है। कहा जाता है कि जहां पर बप्पा विराजते हैं वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है। आइए जानते हैं गणेश स्थापना और गणेश विसर्जन कब है।
गणेश स्थापना तिथि-Ganesh Sthapana Tithi
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को है। इसी दिन से गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो रही है। वहीं इसका समापन 17 सितंबर 2024 ,मंगलवार को अनंत चतुर्थी वाले दिन होगा। इसी दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन होता है।
गणेश स्थापना मुहूर्त-Ganesh Sthapana Muhurt
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरुआत 7 सितंबर को दोपहर 11 बजकर 9 मिनट से हो रही है। इसका समापन 17 सितंबर होगा।
गणेश स्थापना का शुभ समय-Ganesh Sthaapana Ka Shubh Samay
चतुर्थी तिथि ख़त्म – 17:38 -7 सितंबर 2024
चतुर्थी तिथि शुरू – 15:06 – 6 सितंबर 2024
गणेश मंत्र-
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येषु सर्वदा॥
गणेश चतुर्थी पूजा विधि-Ganesh Chaturthee Pooja Vidhi
- गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ कर लें।
- फिर पूजा की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछा कर गणपति बप्पा को चौकी पर स्थापित करें।
- अब गणेश जी पर दूर्वा से गंगाजल छिड़कें। उन्हें हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल अर्पित करें।गणपति बप्पा के साथ-साथ शिव जी और माता पार्वती की भी पूजा करें। फिर लड्डू या मोदक का भोग लगाएं और आरती करें।
- बप्पा के स्थापना के दौरान रोज सुबह शाम बप्पा की इसी विधि से पूजा करनी चाहिए। बप्पा की रोज सुबह शाम पूजा और आरती करनी चाहिए।
गणेश चतुर्थी महत्व – Ganesh Chaturthi Mahatv
भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. घर में सुख समृद्धि के लिए गणेश जी की पूजा करते हैं. गणेश चतुर्थी पर लोग घरों मंदिरों और पंडालों में बप्पा की स्थापना करते हैं। इन दिनों भारत में घरों के साथ ही पंडालों में भी गणेश जी की स्थापना की जाती है।
गणेश चतुर्थी के अनुष्ठान-Ganesh Chaturthi rituals
गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार के लिए मिट्टी और रंग से भगवान गणेश की विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती हैं।
पूजा की शुरुआत मूर्ति में प्राण डालने के लिए मंत्रों के जाप से होती है और भगवान को चंदन के लेप और कुमकुम से स्नान कराया जाता है। इसे ‘प्राणप्रतिष्ठा’ के नाम से जाना जाता है।
भगवान को विभिन्न प्रकार की श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है जिसमें पारंपरिक ‘मोदक’ शामिल है जो नारियल और गुड़ से बनी एक शंक्वाकार मिठाई है। पूजा के लिए नारियल, गुड़, दूर्वा (एक विशेष प्रकार की त्रि-ब्लेड घास) और लाल फूल जैसी अन्य चीजों का भी उपयोग किया जाता है।
परंपरागत रूप से, पूजा के लिए 21 मोदक और 21 दूर्वा आवश्यक हैं।
श्री गणेश आरती-Shree Ganesh Aarti
||शेंदुर लाल चढ़ायो||
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को ।
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहर को ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवर को ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पद को ।
जय देव जय देव ॥०१॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता ।
जय देव जय देव ॥०२॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतति संपत्ति सबहि भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनन्दन निशिदिन गुण गावे ।
जय देव जय देव ॥०३॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता ।
जय देव जय देव ॥०४॥