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दिवाली का अर्थ क्या है?What is the meaning of Diwali?

भारत में दीपावली निश्चित रूप से सबसे बड़े हिंदू त्यौहार के रूप में मनाया जाता है । दीपावली दो शब्दों ‘दीप’ जिसका अर्थ है प्रकाश और ‘अवली’ जिसका अर्थ है पंक्ति का संयोजन है यानी, रोशनी की एक पंक्ति। दीपावली का त्योहार उत्सव के पांच दिनों के द्वारा चिह्नित किया जाता है जो आसपास के वातावरण और परिवेश को उत्साह, उत्सव, प्रतिभा, खुशी, बहुतायत और खुशी के साथ भरता है।

दिवाली- Diwalee

हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम अपना वनवास पूरा करके वापिस अयोध्या लौटे थे। बहुत सी पारंपरिक और धार्मिक श्रुतियों के अनुसार दिवाली के साथ कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं के अनुसार दिवाली का पांच दिवसीय पर्व भगवान गणपति, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और बलराम के साथ-साथ यमदेव की भी पूजा का पर्व है।

दिवाली पर विधि पूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में यश-वैभव बना रहता है और जीवन में धन की कमी दूर होती है महालक्ष्मी उसी घर में निवास करती है जहां चारों ओर उजाला हो। पांच दिन का दीपावली पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। इन पांच दिनों तक घर-घर में दीपक जलाए जाते हैं। मान्यता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं।

दिवाली 2024 तिथि  -Diwali  Date, Muhurat

धनतेरस – 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी – गुरुवार, 31 अक्टूबर  2024
दिवाली एवं लक्ष्मी पूजा – शुक्रवार, 1 नवंबर, 2024
गोवर्धन पूजा एवं भाई दूज – साल 2024 में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर और 3 नवंबर को भैया दूज है

दिवाली मुहूर्त -Diwali Muhurat

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त =शाम 05:35 बजे से शाम 06:17 बजे

प्रदोष काल = 17:36 से 20:12

वृषभ काल = 18:19 से 20:15

दिवाली का महत्व क्या है?What is the importance of Diwali?

पांच दिवसीय दिवाली समारोह विभिन्न परंपराओं द्वारा चिह्नित किया जाता है लेकिन यह समग्र रूप से जीवन, उत्साह, आनंद और भलाई का उत्सव है। दिवाली अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए मनाया जाता है जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई, अज्ञानता पर ज्ञान और निराशा पर आशा को दर्शाता है।

दीवाली को ‘रोशनी का उत्सव’ क्यों कहा जाता है?Why is Diwali called the ‘Festival of Lights’?

दिवाली साल की सबसे अंधेरी नई चंद्रमा की रात को आती है। और, यह दिन धन की देवी मा लक्ष्मी से जुड़ा हुआ दिन है। इसलिए, रात में प्रचलित सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और अपने घरों में देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए, लोग अपने घरों को साफ़ करते हैं, सजाते हैं और खूबसूरत दिए जलाते हैं। इसे सही रूप से ‘रोशनी का उत्सव’ कहा जाता है क्योंकि इस दिन पूरे देश में दिए और पटाखे जलाये जाते हैं तथा आतिशबाज़ी की जाती है । इसके अलावा, यह दिवस आज भी अंधेरे पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दीवाली पूजा सामग्री-Diwali Puja Samgree

  • पीतल का दिया, रुई की बत्ती, अक्षत (चावल),
  • पानी वाला नारियल, कमल के दो फूल,
  • गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चूड़ी,
  • काजल, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी,
  • पान के पत्ते, पुष्पमाला, पंच मेवा,
  • गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी,
  • दही, दूध, ऋतुफल, गन्ना, सीताफल,
  • सिंघाड़े,पेड़ा, मालपुए, इलायची (छोटी),लौंग,
  • इत्र की शीशी, कपूर, केसर, सिंहासन,
  • पीपल, आम और पाकर के पत्ते,
  • औषधि जटामासी, शिलाजीत,
  • लक्ष्मीजी की मूर्ति, गणेशजी की मूर्ति, सरस्वती का चित्र,
  • चांदी का सिक्का,
  • लक्ष्मी-गणेशजी को चढ़ाने के लिए लाल या पीले रंग के वस्त्र,
  • जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा,
  • पंच रत्न, दीपक, दीपक के लिए तेल, पान का बीड़ा,
  • श्रीफल,कलम, बही-खाता, स्याही की दवात,
  • पुष्प (गुलाब और लाल कमल), हल्दी की गांठ,
  • खड़ा धनिया, खील-बताशे,
  • अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र, धूप बत्ती, चंदन।

दिवाली और रामायण उत्सव-Diwali and Ramayana festival

दिवाली मनाने के पीछे सबसे प्रसिद्ध कारण का महान हिंदू महाकाव्य रामायण में उल्लेख किया गया है।

रामायण के अनुसार अयोध्या के राजकुमार राम को अपने पिता राजा दशरथ द्वारा अपने देश से चौदह वर्ष तक जाने और जंगलों में रहने के लिए आदेश मिला था। तो, इसलिए प्रभु श्री राम 14 साल तक अपनी पत्नी सीता और विश्वासपात्र भाई लक्ष्मण के साथ निर्वासन में चले गए।

जब दानव राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया, तो प्रभु श्री राम ने उसके साथ युद्ध किया और रावण का वध कर दिया । ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्री राम ने सीता को बचाया और चौदह वर्षों के बाद अयोध्या लौट आये।

अयोध्या के लोग राम, सीता और लक्ष्मण का स्वागत करते हुए बेहद खुश थे। अयोध्या में राम की वापसी का उत्सव मनाने के लिए, घरों में दिए (छोटे मिट्टी के दीपक) जलाये गए, पटाखे छोड़े गए, आतिशबाजी की गयी और पूरे शहर अयोध्या को अच्छे से सजाया गया।

ऐसा माना जाता है कि यह दिन दिवाली परंपरा की शुरुआत है। हर साल, भगवान राम की घर वापसी को दीवाली पर रोशनी, पटाखे, आतिशबाजी और काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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