धनतेरस 2024 में कब है | जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और धनतेरस की पौराणिक कथा:When is Dhanteras in 2024? Learn auspicious time, worship method, importance and mythology of Dhanteras
धनतेरस: Dhanteras
धनतेरस छोटी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस त्यौहार पर भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी के साथ कुबेर देव की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन पूजा पाठ करने से घर में सुख समृद्धि आती है और तरक्की होती है। धनतेरस के शुभ दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदने से साल भर खुशहाली और वैभव बना रहता है।
धनतेरस रोशनी, उमंग और खुशियों के पर्व दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है जो हिन्दू धर्म का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है। पांच दिवसीय पर्व दीपावली का प्रथम दिन होता है धनतेरस। यह दिन धन के कोषाध्यक्ष देव कुबेर और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि को समर्पित होता हैं और इस दिन इनका पूजन किया जाता है। सुख-समृद्धि एवं वैभवपूर्ण जीवन की कामना के लिए धनतेरस का दिन श्रेष्ठ होता है।
धनतेरस 2024 की तिथि एवं मुहूर्त:Date and time of Dhanteras
धनतेरस – 2024 29 अक्टूबर, मंगलवार को है ।
प्रदोष काल- शाम 05:55 बजे से रात 08:21 बजे तक
वृषभ काल- शाम 06:55 बजे से रात 08:56 बजे तक
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – 29 अक्टूबर 2024 को प्रातः 10:30 बजे से
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 30 अक्टूबर, 2024 को दोपहर 01:14 बजे
क्यों मानाते हैं धनतेरस:Why believe Dhanteras
पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धन्वंतरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर आये थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस, धनत्रयोदशी और धन्वंतरि जयन्ती भी कहा जाता है। इस तिथि को यमराज का भी पूजन किया जाता है। आटे के दीपक में तेल डालकर चार बत्तियाँ जलाई जाती हैं और जल, रोली, चावल, गुड़, और फूल आदि नैवेद्य से याम की पूजा कि जाती है। जैन धर्म में भी यह तिथि बहुत महत्वूपर्ण होती है। इसी दिन भगवान महावीर तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। दीपावली के दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था। तभी से जैन धर्म के लोग इस त्यौहार को धनतेरस के रूप में मानते हैं।
धनतेरस पूजा विधि:Dhanteras worship method
- धनतेरस पर संध्या के समय शुभ मुहूर्त में उत्तर दिशा की तरफ देव कुबेर और भगवान धन्वंतरि की स्थापना करें।
- फिर इन्ही के साथ माता लक्ष्मी एवं श्री गणेश की भी मूर्ति या चित्र को स्थापित करना चाहिए।
- इसके बाद दीपक प्रज्वलित करें और विधिवत पूजा प्रारंभ करें।
- सभी देवी-देवताओं को तिलक करने के बाद पुष्प, फल आदि अर्पित करें।
- फिर कुबेर देवता को सफेद मिठाई और धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं।
- इस पूजा के दौरान ‘ऊं ह्रीं कुबेराय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
धनतेरस का महत्व:Importance of Dhanteras
हिन्दू धर्म में धनतेरस के विशेष महत्व का वर्णन किया गया है। ऐसा कहा जाता हैं कि धनतेरस के दिन धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सदैव धन, वैभव, सुख और समृद्धि का वास रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, धनतेरस पर पूजन करने से घर में धन के भंडार सदैव भरे रहते हैं और धन-संपदा में वृद्धि होती है।
माता लक्ष्मी के साथ धनतेरस पर धन के देवता कुबेर के पूजन का भी विधान हैं। यही वजह है कि धनतेरस तिथि पर आभूषण, चांदी का सिक्का, नए बर्तन, नए कपड़े और वस्तुओं आदि की खरीदारी को शुभ माना जाता है।
धनतेरस से जुड़ीं पौराणिक मान्यता है कि धन त्रयोदशी तिथि पर किसी भी प्रकार की “धातु” की खरीद को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन लोग नए कपड़ों की खरीदारी करते हैं, घर, दफ्तरों और कार्यालयों की साफ़-सफाई करते हैं, साथ ही रंग-बिरंगी लालटेन, रंगोली, दीया और माता लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह से घर को सजाते हैं।
धनतेरस का धार्मिक महत्व:Religious Significance of Dhanteras
सनातन धर्म में कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस को मनाया जाता है। धनतेरस के विषय में ऐसा कहा जाता है कि इस दिन आयुर्वेदिक उपचार पद्धति के देवता भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। यही वजह है कि धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। जब समुद्र मंथन से धन्वंतरि देव प्रकट हुए थे उस समय उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। पीतल को भगवान धन्वंतरी की धातु माना गया है और इसको खरीदने से घर-परिवार को आरोग्यता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस पर्व से ही दीपावली उत्सव का आरम्भ होता है।
धनतेरस पर क्या खरीदें और क्या नहीं खरीदें?What to buy and what not to buy on Dhanteras?
धनतेरस के अवसर पर सोना, चाँदी, पीतल आदि को खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा धनतेरस पर धनिया और झाड़ू खरीदना भी काफी शुभ होता है।इस दिन काले या गहरे रंग की वस्तुएं, चीनी मिट्टी से बने बर्तन, कांच, एल्युमीनियम और लोहे से बनी वस्तुओँ को नहीं खरीदना चाहिए ।
धनतेरस की पौराणिक कथा:Mythology of Dhanteras
एकबार मृत्यु के देवता यमराज ने यमदूतों से प्रश्न किया कि क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में तुमको कभी किसी पर दया आती है। यमदूतों ने कहा कि नहीं महाराज, हम तो केवल आपके दिए हुए निर्देषों का पालन करते हैं। फिर यमराज ने कहा कि बेझिझक होकर बताओं कि क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में दया आई है। तब एक यमदूत ने कहा कि एकबार ऐसी घटना हुई है, जिसको देखकर हृदय पसीज गया। एक दिन हंस नाम का राजा शिकार पर गया था और वह जंगल के रास्ते में भटक गया था और भटकते-भटकते दूसरे राजा की सीमा पर चला गया। वहां एक हेमा नाम का शासक था, उसने पड़ोस के राजा का आदर-सत्कार किया। उसी दिन राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म भी दिया।