0 0
Read Time:6 Minute, 18 Second

देवोत्थान एकादशी Devutthana/Devuthani Ekadashi 2024

16 जुलाई 2024 को 08:34 PM पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 17 जुलाई 2024 को 09:03 PM पर होगा।

 

देवोत्थान एकादशी:Devotthan Ekadashi

देवोत्थान एकादशी, भारतीय हिन्दू परंपराओं में महत्वपूर्ण एक व्रत है , जिसे  देवोत्थान एकादशी या फिर जिसे देव प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख पर्वों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। यह एकादशी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनायी जाती है।देवोत्थान एकादशी अक्टूबर या नवंबर के आस-पास होता है।

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है और इस दिन को लेकर ऐसी मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में अपने 4 माह के शयन के पश्चात जागते है और उनके जागने पर ही सभी शुभ मांगलिक कार्य किये जाते है।

इसके साथ ही इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। तुलसी विवाह के दौरान तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम की यह शादी सामान्य विवाह की तरह पूरे धूम-धाम के साथ मनायी जाती है।

तुलसी के वृक्ष को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है, इसलिए देवता जब भी जागते है, तो इसलिए वह सबसे प्रर्थना तुलसी की ही सुनते हैं। वास्तव में तुलसी विवाह का अर्थ है, तुलसी के माध्यम से भगवान का आवाहन करना।

इस विषय में शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपत्तियों की कन्या नही होती है, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करे। अपने इन्हीं सांस्कृतिक तथा धार्मिक मान्यताओं के कारण देवोत्थान एकादशी का पर्व इतना प्रसिद्ध है। यहीं कारण है कि लोग इस दिन को इतने धूम-धाम के साथ मनाते है।

देवोत्थान एकादशी व्रत और तुलसी पूजा:Devotthan Ekadashi fast and Tulsi puja

तुलसी पूजन देवोत्थान एकादशी का एक सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके साथ इस दिन लोगो द्वारा व्रत भी रहा जाता है। तुलसी के वृक्ष औप शालिग्राम की शादी किसी सामान्य विवाह की तरह काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने आंगन में लगे तुलसी के पेड़ के आस-पास काफी अच्छे से साफ-सफाई करके सजावट का कार्य करते है।

शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है कि जिन दंपत्तियों के घर कन्या नही है, वे जीवन में एक बार तुलसी विवाह अवश्य करें। शाम के समय में लोगो द्वारा लक्ष्मी और विष्णु पूजन का आयोजन किया जाता है।

इस पूजा में गन्ना, चावल, सूखी मिर्च आदि का उपयोग किया जाता है और पूजा के पश्चात इन चीजों को पंडित को दान कर दिया जाता है। इस पूरे कार्य को तुलसी विवाह के नाम से जाना जाता है।

देवोत्थान एकादशी का महत्व:Importance of Devotthan Ekadashi

देवोत्थान एकादशी, जिसे देवुत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण एक पर्व है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की पूजा और उनके पुनर्निद्रण (यानी उनके जगने) की आराधना होती है।

इस एकादशी का महत्व पुराणों में वर्णित है, और इसे विष्णु पुराण, पद्म पुराण, भागवत पुराण आदि में विस्तार से वर्णित किया गया है। यह पर्व चातुर्मास्य यात्रा के अंतर्गत आता है और चातुर्मास्य की अवधि में भगवान विष्णु की चतुर्दशी रूपों का विशेष पूजन किया जाता है।

देवोत्थान एकादशी को व्रत रखने से मान्यता है कि भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से उठते हैं और वासुदेव और कृष्ण एकादशी के दिन मनाये जाते हैं। यह एक व्रत है जिसे सजीव पति-पत्नी या गृहस्थों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत का पालन, और भगवान की कथाओं का सुनाना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। भक्तगण इस दिन उपवास करते हैं और सुबह स्नान करके पूजा आरंभ करते हैं, जिसे रात्रि को पूरी की जाती है।

देवोत्थान एकादशी का पालन करने से मान्यता है कि यह पापों का नाश करता है और भगवान की कृपा प्राप्ति करने में मदद करता है। यह एक पवित्र और धार्मिक उपासना का मौका होता है और भगवान विष्णु की आराधना का अच्छा तरीका माना जाता है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Chhath Pooja Previous post Chhath Puja छठ पूजा 2024
Next post Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी 2024

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close