चेटी चंड- Cheti Chand 2024
चेटी चंड सिंधी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक पर्व है, जो प्रमुख रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाता है। यह सिंधी नववर्ष की शुरुआत को बताता है और हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के दूसरे दिन को मनाया जाता है। ज्यादातर : मार्च या अप्रैल में आता है । यह त्योहार सिंधी समुदाय के पत्रों संत झूलेलाल को समर्पित है।
चेटी चंद त्योहार को ही सिंधी समुदाय सिंधी नव वर्ष के रूप में मानते है इस दिन सिंधी समुदाय से जुड़े लोग शक्तिशाली भगवान वरुण (जल के देवता) से समृद्धि और धन प्राप्ति की प्रार्थना करते है चूँकि भगवान झूलेलाल को भगवान वरुण (जल के देवता) के अवतार माना जाता है इसलिए इस दिन ही झूलेलाल जयंती भी मनाई जाती है, चेटी चंद त्योहार सिंधी समुदाय के पारंपरिक मूल्यों और मान्यताओं से जुड़ा त्योहार है। चेटी चंड सिंधी समुदाय के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है, और यह आभास कराने, आशीर्वाद मांगने और एकजुटता और भाईचारे की आत्मा को जगाने का एक अवसर है।
चेटी चंड शब्द कहा से लिया गया -Where did the word Cheti Chand come from?
“चेटी चंड” शब्द सिंधी भाषा से लिया गया है, जहां “चेटी” चैत्र मास को सूचित करता है, और “चंड” चाँद का मतलब है। यह त्योहार झूलेलाल की जन्मोत्सव की स्मृति में बनाया जाता है।
उत्सव में पूजा, रीति-रिवाज, और धार्मिक सभा शामिल होती हैं। भक्तजन झूलेलाल के समर्थन में बने मंदिरों का दौरा करते हैं, जहां विशेष प्रार्थनाएँ की जाती हैं। लोग पर्वाहों में भी हिस्सा लेते हैं, पारंपरिक गाने गाते हैं और शुभकामनाएं आपस में बाँटते हैं। त्योहार खुशी, सामुदायिक संबंध बनाए रखने और आने वाले वर्ष के लिए आशाएं और आकांक्षाएं नवीनीकृत करने का समय होता है।
2024 में चेटी चंड कब है?
10 अप्रैल, 2024 (बुधवार)
चेटी चंड मुहूर्त – Cheti Chand Muhurat
अप्रैल 9, 2024 को 20:33:10 से द्वितीया आरम्भ
अप्रैल 10, 2024 को 17:34:28 पर द्वितीया समाप्त
चेटीचंड की पूजा विधि-Cheti chand’s worship method
चेटी चंड के अवसर पर सिंधी समुदाय द्वारा भगवान झूले लाल की शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसके अलावा इस दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
स्थान चयन-
पूजा के लिए एक शुभ स्थान चयन करें, जैसे कि मंदिर या विशेष पूजा स्थल।
सामग्री-
चंदन, कुंकुम, रोली, हल्दी, अद्भुत, सुगंधित धूप और दीप.
फल, फूल, नैवेद्य (आटा और गुड़ का मिश्रण), पान, नीम के पत्ते, घास, ताम्र और कांस्य के वास्त्र, फलाहारी भोजन।
पूजा विधि-
- शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को साक्षात चेतीचंड की पूजा करनी चाहिए।
- पूजा की शुरुआत गणेश जी की पूजा से करें।
- चेतीचंड की मूर्ति या छवि के सामने बैठकर मंत्रों का जाप करें।
- चंदन, कुंकुम, रोली, हल्दी, अद्भुत, सुगंधित धूप, और दीपों से पूजा करें।
- फल, फूल, नैवेद्य, पान, नीम के पत्ते, घास, ताम्र और कांस्य के वस्त्र समर्पित करें।
- भक्ति भाव से मन्त्र जाप करें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए ब्रत रखें।
भजन-कीर्तन-
- चेतीचंड की पूजा में भजन और कीर्तन का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
- भक्ति भाव से चेतीचंड की गाथाएं गाएं और उनका स्मरण करें।
प्रासाद-
- पूजा के बाद प्रासाद बांटें और भक्तों को खिलाएं।
- विशेष रूप से फल और फूलों को चेतीचंड के चरणों में समर्पित करें।
चेटी चंड से जुड़ी पौराणिक कथा – Mythology related to Cheti Chand
चेटी चंड पर्व सिंधी नववर्ष का शुभारंभ दिवस है। इसी दिन विक्रम संवत 1007 सन 951 ईस्वी में सिंध प्रांत के नरसपुर नगर में भगवान झूले लाल का जन्म रतन लाल लुहाना के घर माता देवकी के गर्भ से हुआ था। भगवान झूले लाल को लाल साईं, उडेरो लाल, वरुण देव और ज़िंदा पीर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान झूले लाल ने धर्म की रक्षा के लिए कई साहसिक कार्य किये। भगवान झूलेलाल ने हिंदू-मुस्लिम की एकता के बारे में अपने विचार रखे और एक ईश्वर के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘’ईश्वर एक है और हम सब को मिलकर शांति के साथ रहना चाहिए’’। इस वजह से भगवान झूले लाल की वंदना हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय करते हैं।