भाई दूज 2024 की तारीख व मुहूर्त-Bhai Duj 2023 date and auspicious time
भाई दूज -Bhai Duj
भाई दूज भारतीय पर्वों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिन्दू परिवारों में बहनों और उनके भाइयों के प्यार और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार दीपावली के दूसरे दिन, यानी कर्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का मतलब होता है “भाई का दूसरा दिन”।
यह हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को टीका लगाती हैं तथा उनकी समृद्धि, स्वास्थ्य एवं सम्पन्नता की कामना करती हैं। बहन अपने भाई को घर बुलाकर भाई को बड़ी सिद्दत से भोजन कराती हैं और उपहार भेंट करती हैं। भाई भी इस दिन बहन को यथाशक्ति उपहार देकर उसकी कुशलता एवं सुरक्षा का वचन देते हैं। यह दिन भाई-बहन के मध्य पवित्र प्रेम-बंधन का प्रतीक है।
इस दिन विवाहिता बहनें भाई बहन अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है, और गोबर से भाई दूज परिवार का निर्माण कर, उसका पूजन अर्चन कर भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है। भाई दूर से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरह ये मनाया जाता है।
भाई दूज 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त-Bhai Dooj 2023 date and auspicious time
भाई दूज 2024 तिथि – 3 नवम्बर ,रविवार2024
द्वितीया तिथि शुरू – 08:20 – 2 नवंबर 2024
द्वितीया तिथि ख़त्म – 10:05 – 3 नवंबर 2024
भाई दूज की पूजा विधि-Worship method of Bhai Duj
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं। इस दिन बहनें को प्रात: स्नान कर सबसे पहले अपने ईष्ट देव और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इसके बाद पिसे चावल से चौक बनाए और इस चौक पर भाई को बैठाएं। भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं फिर उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, पैसा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। इसके बाद भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें और फिर कलावा बांधा जाता हैं। इसके बाद मिठाई से भाई का मुंह मीठा करें। इसके बाद उन्हें भोजन कराएं और पान खिलाएं। भाई दूज पर भाई कपान खिलाने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है। तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें। इस दिन भाई – बहन का हाथ पकड़ कर यमुना नदी में स्नान करने से यमराज अकाल मृत्यु से अभयदान प्रदान करते हैं।
भाई दूज के महत्व-Significance of Bhai Duj
यह त्योहार बहनों और उनके भाइयों के बीच बढ़ते प्यार और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती हैं। वे उनके आयु और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। भाइयों ने अपनी बहनों के साथ प्यार और संरक्षण का प्रतीक देने के रूप में भाई दूज के दिन उन्हें उपहार देते हैं।
यह त्योहार बहनों और उनके भाइयों के बीच अद्भुत बंधन को मजबूती से दिखाता है और परिवार के एकता को मजबूती से बनाए रखे।
यम और यमि की कथा-Story of Yama and Yami
पुरातन मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यमुना के अनेकों बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन में मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा-Story of Lord Shri Krishna and Subhadra
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।
भाई दूज की परंपरा-Traditions of Bhai Duj
इस त्योहार की परंपरा वेदों और पुराणों में मौजूद है और यह हिन्दू धर्म के अनुसार महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह भारतीय सभी धर्मों में बड़ी खुशी और साथी के रूप में मनाया जाता है।