Bhagavaan Shree krishn Ke 16108 Patniyon Kee Kahaanee-भगवान श्रीकृष्ण की 16108 पत्नियों की कहानी

0 0
Read Time:6 Minute, 7 Second

जानिए ,भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियों के पीछे क्या है पौराणिक कहानी-Jaaniy ,Bhagavan Shree krishn Kee 16108 Patniyon Ke Peechhe kya hai Pauraanik kahanee

सनातन धर्म के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थी। इनके नाम इस प्रकार है रुक्मणि, जाम्बवन्ती ,सत्यभामा ,कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या भद्रा ,और लक्ष्मणा था। असुर नरकासुर के चलते भगवान श्रीकृष्ण को 16000 नारियों संग विवाह करना पड़ा था।

भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियों के पीछे का रहस्य-Bhagavaan Shree krishn ke 16108 pPatniyon Ke Peechhe Ka Rahasay

 

भगवान श्रीकृष्ण की 16108 पत्नियों की कहानी महाभारत के एक अध्याय, श्रीमद् भागवत पुराण, और अन्य पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है।

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का अंत नहीं है। अनंत काल से भगवान श्री कृष्ण अपनी लीलाओं से सृष्टि का संचालन कर रहे हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि ज्ञानगंज में भगवान श्रीराम और कृष्ण आज भी मानव रूप में उपस्थित हैं। धार्मिक ग्रंथों में भगवान की लीलाओं का उल्लेख विस्तार रूप से है। इसमें एक लीला नरकासुर वध का है। असुर नरकासुर के चलते भगवान श्रीकृष्ण को 16000 नारियों संग विवाह करना पड़ा था। इसके लिए आज भी धार्मिक प्रसंगों में भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियों की कथा सुनाई जाती है। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के 16108 पत्नियों के बारे में –

सनातन धर्म के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थी। इनके नाम क्रमश: रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। इसके अलावा, उन्होंने 16000 से अधिक कन्याओं के संग विवाह किया था। हालांकि, उन्होंने 16000 कन्याओं के संग केवल विवाह किया था, किन्तु अर्धांगिनी रूप में स्वीकार नहीं किया था। वहीं, 16000 कन्याओं ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। इसके बावजूद वे सभी द्वारका में भगवान की भक्ति कर जीवन यापन करती थी।

 16000 हजार कन्याओं से विवाह-16000 Hajaar Kanyaon Se Vivah

कहा जाता है कि एक बार नरकासुर का आतंक बहुत बढ़ गया। उसके आतंक से स्वर्ग लोक में हाहाकार मच गया। सत्ता छीनने के डर से स्वर्ग नरेश इंद्र, भगवान के शरण में गए और उनसे स्वर्ग की रक्षा करने का अनुरोध किया।

तब भगवान श्रीकृष्ण ने आश्वासन दिया कि नरकासुर का अंत निकट है। वहीं, दूसरी तरफ नरकासुर अमरता का वरदान प्राप्ति हेतु 16000 हजार कन्याओं को बंदी बनाकर एक कारागार में डाल रखा था। कालांतर में भगवान ने 16000 कन्याओं को नरकासुर के कारागार से मुक्त कराया। जबकि, नरकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसे कोई पुरुष मार नहीं सकता है। उस समय सत्यभामा की मदद से श्रीकृष्ण जी ने नरकासुर का वध किया। लेकिन श्रीकृष्ण की यह मदद उन कन्याओं के लिए अभिशाप बन गई थी। नरकासुर के कारावास से मुक्त होने के बाद जब ये कन्याएं अपने घर पहुंची तो समाज और परिवार ने उन्हें चरित्रहीन कहकर अपनाने से मना कर दिया था। वहीं, 16000 हजार कन्याएं समाज के कलंक से बचने के लिए भगवान को ही अपना पति मान लिया। तब भगवान 16000 रूप में प्रकट होकर उन कन्याओं से विवाह किया था।

कालिंदी से किया विवाह-Kaalindee Se Kiya Vivah

भगवान श्री कृष्ण जब पांडवों से मिलने इंद्रप्रस्थ गए थे तो युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी और कुंती ने उनका मेहमानदारी पूजन किया था। एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान श्री कृष्ण वन विहार पर गए थे। अर्जुन और श्री कृष्ण जिस वन में घूम रहे थे वहीं सूर्य की पुत्री कालिंदी उन्हें पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए कृष्ण ने उनके साथ विवाह कर लिया था।

भगवान श्री कृष्ण की 8 पटरानियां-Bhagvaan Shree Krishn Kee 8 Pataraniyaan

शास्त्रों में भगवान श्री कृष्ण की पत्नियों को पटरानियां कहा गया है। भगवान कृष्ण की सिर्फ 8 पत्नियां थी जिनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। ऐसा भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र भी थे। उनकी सभी पत्नियों के 10-10 पुत्र थे। और एक-एक पुत्री भी उत्पन्न हुई थी। इसी गणना के अनुसार कृष्ण के 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र और 16 हजार 108 पुत्री थीं।

 

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Akshay Trteeya 2024 Previous post Akshay Trteeya अक्षय तृतीया 2024
Next post Why didn’t Krishna and Radha get married-कृष्ण-राधा ने क्यों नहीं की शादी

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close