जानिए कब है बसंत पंचमी Basant Panchami साल 2024 में मुहूर्त और तिथि समय ?
Basant Pancham – बसंत पंचमी
हमारे हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो हिन्दी कैलेंडर के अनुसार फरवरी-मार्च के बीच आती है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माँ सरस्वती का अवतरण हुआ था।और इस दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है , और इसी दिन से वसंत ऋतु आरम्भ हो जाता है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। इस दिन माँ सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ माँ लक्ष्मी और विष्णु जी की भी पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी के दिन लोग सरस्वती माता की पूजा करते हैं और उन्हें सरस्वती विद्या की देवी मानते हैं। बच्चों को पढ़ाई में शुभारंभ करने के लिए इस दिन को शुभ माना जाता है। विद्या और कला के क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति के लिए सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की आराधना की जाती है।यह दिन ऋतु परिवर्तन का परिचायक भी पक्षियों में कलरव,भौरो की गुंजन,, पुष्पों की मादकता से युक्त वातावरण बसंत ऋतु की विशेषता है। पशु-पक्षियों तक में कामक्रीड़ा की अनुभूति होने लगती है। यह मदनोत्सव का आरंभ है। होली का प्रारंभ भी इस दिन से होता है और समापन फाल्गुन की पूर्णिमा पर होलिका दहन पर होता है।
Basant Panchami Date and Time (बसंत पंचमी तिथि & समय )
बसंत पंचमी :14 फरवरी 2024
पूजा मुहूर्त :सुबह 10:44 से 12:30 तक है
पंचमी तिथि प्रारम्भ: 13 फरवरी 2024 को दोपहर 02:40 से प्रारंभ।
पंचमी तिथि समाप्त: 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12:10 तक।
वसन्त पंचमी पूजा मुहूर्त-:14 फरवरी 2024 बुधवार के दिन सुबह 07:00 से दोपहर 12:40 के बीच होगी ।
Basant Raga Sandhya of Panchami : (पंचमी की बसंत राग संध्या)
कई स्थानों पर बसंत पंचमी के दिन बसंत राग संध्या आयोजित की जाती है, जिसमें संगीत, नृत्य, और कला के क्षेत्र में कलाकारों का प्रदर्शन होता है। यह समारोह बसंत ऋतु की आगमन को समर्थन करता है और कला के साथ जुड़े लोगों को एक साथ आत्मनिर्भर करता है।
Importance of Basant Panchami :(बसंत पंचमी का महत्व)
बसंत पंचमी वसंत ऋतु का प्रारंभ का सूचक होता है। इस दिन से ही प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ता है और प्रकृति में नए-नए फूल खिलने लगते हैं।बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। मां सरस्वती को विद्या, कला, संगीत, और बुद्धि की देवी माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है। बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, आशावाद का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पीले व्यंजन बनाए जाते हैं। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की हल्दी, केसर, पीले फूल, पीली मिठाई से पूजा की जाती है। साथ ही देवी सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना शुभ होता है, इससे बुद्धि तेज होती है।
Basant Panchami puja method:(बसंत पंचमी पूजा विधि)
पूजा की शुरुआत
पूजा की शुरुआत करने से पहले, अपने आत्मा को शुद्ध करने के लिए ध्यान लगाएं और गणेशजी की पूजा करें।
इसके बाद, मां सरस्वती की मूर्ति को साफ सुथरे रूप में स्थापित करें।
अभिषेक
मां सरस्वती की मूर्ति को पानी से स्नान कराएं। इसके लिए बैजन को अच्छे से गूंथ लें और उसे जल में मिलाकर मां की मूर्ति को स्नान कराएं।
पुष्पांजलि
मां सरस्वती के चरणों में फूलों की माला और चावल चढ़ाएं।
दीप पूजा
मां सरस्वती के समक्ष अखंड दिया और घी की माला बनाएं और उन्हें प्रज्वलित करें।
प्रार्थना और मंत्र
सरस्वती स्तोत्र या मंत्रों का पाठ करें। आप “या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता” जैसे मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं।
आरती
मां सरस्वती के समक्ष आरती उतारें और उन्हें प्रशाद चढ़ाएं।
प्रशाद वितरण
अखंड दिया का प्रशाद सभी गर्भगृह के लोगों को बांटें।
सामग्री
मां सरस्वती की मूर्ति या छवि
बैजन (बार्ले)
जल (पानी)
अखंड दिया और घी
पुष्प (फूल)
फल (फल)
चावल, मिठा पूड़ी, फूल, और फलों की माला
कंबल या आसन
सरस्वती स्तोत्र या मंत्र
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।