अक्षय तृतीया -Akshay Trteeya
हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshay Trteeya)एक प्रसिद्ध त्यौहार है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन (तृतीया) को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया (Akshay Trteeya) कोअक्ती या ‘आखा तीज’ के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया भगवान परशुराम के जन्मदिन का शुभ दिन है। अक्षय तृतीया (Akshay Trteeya) के दिन बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाता है और लक्ष्मी-नारायण के दर्शन किये जाते है। इस त्योहार को भारत व नेपाल में हिन्दुओं व जैनियों द्वारा एक शुभ समय के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जो भी कार्य इस दिन किये जाते है, उनका अक्षय फल मिलता है। इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीय (Akshay Trteeya) कहा जाता है।
संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ आशा, समृद्धि, आनंद और सफलता होता है और ‘तृतीय’ का अर्थ तीसरा होता है। हर महीनें शुक्ल पक्ष में तृतीय आती है, परन्तु वैशाख के दौरान आने वाली शुक्ल पक्ष में तृतीय को शुभ माना जाता है। यह दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में विशेष महत्व रखता है। इसदिन कोई भी शुभ कार्य किये जा सकते है – जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र, आभूषण, घर, जमीन और वाहन आदि खरीदना। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया पिण्डदान अथवा किसी भी प्रकार के दान से अक्षय फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से छुटाकर मिलता है। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।
हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshay Trteeya)के दिन गंगा स्नान का एक विशेष महत्त्व होता है और अक्षय तृतीय(Akshay Trteeya) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित करना चाहिए। ब्रह्ममाणों को भोजन आदि करना चाहिए और उनको दान आदि करना चाहिए।
Note- अक्षय तृतीया के दिन से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू हो जाएगी। चार धाम हैं – यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ।
क्या आप जानते हैं- महाभारत का युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था और द्वापर युग भी समाप्त हुआ था इसी दिन कुबेर को मिला था खजाना और मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था।
अक्षय तृतीया -Akshay Trteeya 2024
तिथि – शुक्रवार, 10 मई 2024
तृतीया तिथि प्रारंभ – 10 मई 2024 को 04 :18 मिनट पर
तृतीया तिथि समाप्त – 11 मई 2024 को 02 : 51 मिनट पर
जानिए अक्षय तृतीया कि कुछ महत्वपुर्ण जानकारियाँ और महत्व -Know some important information and significance of Akshaya Tritiya
- अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण।
- महाभारत का युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था और द्वापर युग भी इसी दिन समाप्त हुआ था।
- माँ अन्नपूर्णा का जन्म।
- चिरंजीवी महर्षी परशुराम का जन्म हुआ था इसीलिए आज परशुराम जन्मोत्सव भी हैं।
- माता गंगा का धरती अवतरण हुआ था।
- भगवान सूर्य ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया।
- वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू किया था।
- प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट खोले जाते है।
- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन होते है।
- जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को बनाना प्रारम्भ किया जाता है।
- अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो।
- अक्षय तृतीया के दिन से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू होती हैं। चार धाम हैं – यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ।
अक्षय तृतीया पूजा विधि -Akshaya Tritiya Puja Vidhi
- अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु भगवान की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर के साफ कपड़े पहनें।
- मंदिर को साफ करें, इसके बाद मंदिर में सभी भगवानों को गंगाजल अर्पित करें।
- फिर फूल और प्रसाद अर्पित करें. मां लक्ष्मी को लाल रंग का फूल चढ़ाएं और भगवान विष्णु जी को कमल और चमेली का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- भोग में पीले रंग की मिठाई और खीर का भोग लगाएं।
- इसके बाद दीपक जलाएं और आरती करें।
- भगवान से घर में सुख-समृद्धि की कामना करें और हाथ जोड़कर आर्शीवाद लें।
अक्षय तृतीया पौराणिक कथा-Akshaya Tritiya mythology
महाभारत के अनुसार, युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से कहा था कि वह अक्षय तृतीया का महत्व जानना चाहते हैं । इसलिए, कृष्ण ने उनसे कहा कि यह बहुत शुभ दिन है। इस दिन जो लोग दोपहर से पहले स्नान करके जप, तप, होम, यज्ञ, शास्त्र अध्ययन, पितृ-तर्पण, दान आदि करते हैं, उन्हें अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
प्राचीन काल में एक गरीब और धर्मात्मा व्यक्ति था, जो देवताओं में आस्था रखता था। गरीबी से त्रस्त होने के कारण वह बहुत परेशान रहता था। किसी ने उन्हें अक्षय तृतीया व्रत के बारे में सुझाव दिया । इसलिए, उसने इस व्रत को बहुत ही विधि-विधान से किया, जैसे सुबह जल्दी उठना, गंगा नदी में स्नान करना, देवताओं की पूजा करना और दान देना। यह आदमी अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। उन अत्चया तृतीया अनुष्ठानों के प्रभाव के कारण , वह काफी शक्तिशाली और अमीर बन गया।